ताउम्र जो करते रहे छिनारा
आज साफ़ गोई से कस गये किनारा
चार चार फ़्रिज घर में है धरे
जल को डुडे कभी गगरी कभी इनारा
इस देश की तासीर है सबसे अलग
नकल करते रहे इग्लिश्तान की
पहन के पैजामा नाडे वाला
चिल्ला रहे हिन्दोस्तान हमारा
गंगा सूखी पानी गायब
कहां चलेगी नैया
फ़ेंक के पन्नी पाणे बोले
जय हो गंगा मैया
फटक के चन्दन झाड के घोती
जुटे चाकरी भाई
गंगा तो अब सूख चुकी
जमूना की बारी आई.
“““““‘ सारे गुरू हो गये शुरु इंजीनियर का नाम गंगागुरू“““““““‘